मुझे याद है वो दिन जब मेरी मेंहदी के संगीत का प्रोग्राम था| इस संगीत को लेकर हर कोई उत्साहित था और मेरे सभी कजिन्स, मामी, चाची, भाभियों और दोस्तों ने अपने अपने डांसिग आइटम पूरे जी जान से तैयार कर रखे थे| मैं खुद भी एक कोरियोग्राफर रही हूँ, कई डांस ईवेंटस प्लान किए हैं मैंने। परंतु आज अपने ही संगीत में मुझे डांस करने की सूझ तक नही रही थी, क्योंकि मन बहुत उदास था, विदा जो लेनी थी इस घर से। जब से रिश्ता तय हुआ था, मां, पिता और छोटी बहन से बिछड़ने का ख्याल मुझे अंदर तक आहत कर रहा था , जी रह रह कर भर आ रहा था| अकेले में रो रो कर जी हल्का कर रही थी।
संगीत का प्रोग्राम शुरू हो गया, एक से बढ़कर एक धमाकेदार परफा्रमेंस शुरू हो गए… तभी सहेलियों ने आकर मुझसे भी आग्रह किया ‘ चल उठ न, तेरी डांस परफार्मेंस भी तो देखें|’
परंतु उन्हे क्या समझाती कि इस कोरियोग्राफर के तो पैर उठने का नाम ही नहीं ले रहे थे , जैसे लकवा मार गया हो, मन जो उदास था। सभी बार बार आकर मुझसे आग्रह करने लगे परंतु मेरा मन ही नहीं था कि कुछ परफार्म करूं|
तभी अचानक मेरे पापा मेरे पास आए और बोले “तो मेरी कोरियोग्राफर बेटी क्या अपने पापा के लिए भी परफार्म नहीं करेगी? याद है जब तीन साल की थी तो कैसे अपनी तुतलाती आवाज़ में पाकीजा फिल्म का गाना खुद गा गा कर डांस करती थी…
‘इन्ही लोगों ने ले लीना पट्टा मेरा और वो वाला, कहते हैं मुझको हलवा हलवाई | याद है या भूल गई मेरी बिट्टो? बस मुझे तो इन्ही दो गानों पर डांस देखना है तेरा नही तो देख, यहीं धरने पर बैठ जाऊंगा।’ कहकर पापा एक कुर्सी खींच कर वहीं पर मेरे पास बैठ गए|
यकीन मानिए, फिर उस दिन मैंने जो डांस किया न वो मेरा आज तक का सबसे बेहतरीन परफार्मेंस था… क्योंकि वो एक स्पेशल डांस जो था मेरा अपने प्यारे पापा के लिए |
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धन्यवाद |
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