ममता का एक रंग…
मां… एक ऐसा शब्द है जिस शब्द को सुनते ही मन में ममता, प्रेम और विश्वास का भाव स्वत: ही उमड़ने लगता है, तो जिस नाम से ही इतनी भावनाएं जुड़ी हों तो मां तो फिर मां ही होती है न…
भूख खुद को लगे और खाना बच्चे को खिलाकर , जो तृप्त हो जाए, वो मां …
ठंड में जब खुद ठिठुरने लगे और बेटा स्वेटर पहन लो, की रट जो लगाए, वो मां …
नींद खुद को आ रही हो और थपकी देकर जबरन बच्चे को सुलाने की कोशिश करे, वो मां..
जब खुद अंदर तक टूट चुकी हो और बच्चों को गुदगुदा कर हंसाए , वो मां…
घर से बाहर गए बच्चे की एकटक राह जो तके , वो मां..
खैर! हर मां ऐसी भावनाएं बखूबी समझती है!
परंतु ये, आजकल के बच्चे भी न… कमाल करते हैं, पता नही इन्हें इन सब भावनाओं में बहना पसंद है भी या नही?
ये माड्रन लड़के लड़कियां पता नही मां से अटैच्ड होते भी हैं या नही? मेरे मन में कभी कभी ये सवाल रह रह कर उमड़ते रहते थे, क्योंकि सोशल मीडिया पर आजकल ये मां वाली भावनाएं जमकर ट्रोल होती रहती हैं | फिर चाहे ‘flying chappal received’ वाले मेम्स हों या ये ‘ बेटा धनिया ले आना ‘ वाले जोक्स | इंटरनेट पर बाढ़ सी आ गई लगती है ऐसीपोस्ट्स की | इसी से एक कदम आगे बढ़ कर
‘बेटा…स्वेटर पहन लो… ‘ ये टैगलाईन आजकल टाप वायरल मेम्स पेज्स पर युवाओं की पहली पसंद बन चुकी है..
डबमैश और यूट्यूब पर भी ढेरों वीडियोज़ इसी टैगलाइन को भुनाती दिखाई दे रही हैं |
सच कहूं तो एक मां होकर, मुझे भी ये सब देख कर बरबस ही हंसी छूट पड़ती है |
अभी हाल ही में इसी को लेकर TVF , द वायरल फीवर यूट्यूब चैनल की नई वीडियो… ‘बेटा स्वेटर पहन लो ‘ भी देखी…ये सोचते हुए कि.. ऊंह ! ये आजकल के बच्चे मां के प्यार और भावनाओं को भी कैसे मजे लेते हैं |
Link – https://youtu.be/
लेकिन सच मानिए… इस युवा सोच को देखकर मजा आ गया| कितनी खूबसूरती से मां और बच्चों के रिश्ते को समझाने का काम कर जाती है ये शार्ट फिल्म… देखते ही बनती है |
इसे बच्चों के साथ देखिएगा जरूर… क्योंकि कहीं न कहीं ये आजकल के युवाओं के दिल से इस आउटडेटेड होती मां वाली भावनाओं को फिर से जीवित करने की एक खूबसूरत कोशिश है|
इन तमाम वायरल मेम्स के जरिए , कहीं न कहीं ट्रोलिंग के साथ साथ शायद डिजिटल वर्ल्ड वाली हमारी युवा पीढ़ी का उनका अपना एक नया , अद्भुत तरीका है, इन मां वाली भावनाओं को समझने समझाने का|
वरना हम तो जब तब मुन्व्वर राणा जी की कविता की कुछ पंक्तियां पढ़कर ही भावनाओं में बह जाते थे… वही पंक्तियां यहां साझा कर रही हूं, उम्मीद है पसंद आएंगी…
मां….
मैंने रोते हुए पोंछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुपट्टा अपना
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती
बस एक माँ है जो मुझसे ख़फ़ा नहीं होती
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ
खाने की चीज़ें माँ ने जो भेजी हैं गाँव से
बासी भी हो गई हैं तो लज़्ज़त वही रही
चलती फिरती आँखों से अज़ाँ देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है…
धन्यवाद |
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