क्योंकि हर गीत कुछ कहता है !
पिछले दिनों भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जब प्राग के दौरे पर थे तो वहाँ भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित पार्टी में उनके स्वागत में इंडिया-चेक सिनफोनिटा ऑर्केस्ट्रा ने 1970 की मशहूर फिल्म ‘ब्लैकमेल’ का गीत ‘पल-पल दिल के पास तुम रहती हो’ की प्रस्तुति देकर कोविंद का स्वागत किया।
ये ख़बर उतनी ही खूबसूरत लगी जितना खूबसूरत ये गीत है|
क्योंकि अपने बोल की ही तरह ये गीत भी हम सब के दिल के पास ही रहता आया है हमेशा से !
जब भी कहीं किसी खुशनुमा शाम में रूमानियत से भरे गीत की बात चलती है तो मेरे ज़हन में बरबस यही गीत तैर जाता है जहां प्यार की संवेदना कविता की तरह से स्पर्श करती है।
‘हर शाम आंखों पर तेरा आंचल लहराए, हर रात यादों की बारात ले आए’ जैसे अंतरे के साथ ब्लैकमेल (1973) का राजेंद्र कृष्ण लिखित ‘पल-पल दिल के पास तुम रहती हो’ (किशोर) तो कल्याण जी आनंद जी की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
धर्मेंद्र और राखी ने अपने शानदार अभिनय से इस गीत को सुनहरे पर्दे पर उतारकर हर किसी को सम्मोहित कर लिया था|
‘पल पल दिल के पास तुम रहती हो
जीवन मीठी प्यास ये कहती हो !’
यह गीत भीनी-भीनी सी खुशबू बिखेरते ,एक मद्धम ताज़ा हवा के झोंके जैसे हमें मंत्रमुग्ध कर हौले -हौले आगे बढ़ता है |
इस गीत के प्रेम पत्र में केवल संबोधन बदलने का सिलसिला ही लड़का और लड़की के प्यार की रफ्तार को आंकने के लिए काफी है जब ये संबोधन , प्रिय मिस मेहता जी से शुरू होकर प्रिय आशा जी ,प्रिय आशा, आशा और आखिर में मेरी आशा पर आ ठहरता है तो लड़की की आंखों में शर्मो-हया से भरे प्रेम के भाव बरबस ही छलक पड़ते हैं|
‘हर शाम आंखो पर तेरा आंचल लहराए
हर रात यादों की बारात ले आए
मैं सांस लेता हूं , तेरी खुशबू आती है !’
एक महका महका सा पैगाम लाती है
मेरे दिल की धड़कन भी तेरे गीत गाती है !’
लड़के के प्रेम भरे पत्रों में इज़हार का सिलसिला कुछ यूं चलता है कि लड़की को हर पल, हर जगह बस वही नज़र आता है|
लड़की खतों को कभी सहेज कर रखती है , कभी पढ़ते -पढ़ते सो जाती है , कभी नींद मे अचानक लड़के की छुअन से सिहर कर चौंक उठती है ,फिर कभी नींद न आने पर बिस्तर पर तमाम खतों को बिछाकर लड़के की उपस्थिति महसूस करते हुए मन ही मन उसकी आंखों में आंखे डाले पूरी रात आंखों ही आंखों में गुजार देती है|
‘कल तुझको देखा था मैंने अपने आंगन में
जैसे कह रही थी तुम मुझे बांध लो बंधन में
ये कैसा रिश्ता है ये कैसे सपने हैं
बेगाने होकर भी क्यूं लगते अपने हैं !
मैं सोच में रहता हूं डर-डर के कहता हूं ‘
लड़की के लिए ये खत नही बल्कि लड़के के प्रेम का वो अहसास है जो उससे दूर होते हुए भी अपना हाले-दिल बयां कर उसके पास होने का अहसास करा जाता है
लड़की खत में रखे फूल लजाती शरमाती कुछ ऐसे छूती है मानो लड़के को ही छू लिया हो|
खत में लड़के के प्यार भरे इज़हार-मनुहार पढ़कर लड़की कभी तो मन ही मन अपने प्यार पर इतराती है और वहीं दूसरे ही पल सोच में पड़ जाती है कि कहीं ये ख़त वाला प्यार कोई छलावा तो नहीं ?
और बिल्कुल यही शक लड़के के मन भी रहता है कि मालूम नहीं लड़की उसके प्यार को स्वीकार करती भी है या नहीं |उसे भी डर है कि ये प्यार कहीं एकतरफा न निकले |
‘तुम सोचोगी क्यूं इतना मैं तुमसे प्यार करूं
तुम समझोगी दीवाना मैं भी इकरार करूं
दीवानों की ये बातें दीवाने जानते हैं
जलने में क्या मज़ा है परवाने जानते हैं
तुम यूंही जलाते रहना आ-आ कर ख्वाबों में !’
प्यार में ये जो एक दूसरे से दूर होकर भी एकदूसरे के साथ होने सा अहसास होता है न , वो अहसास इस गीत से बेहतर कहीं और देखने को आसानी से नहीं मिलता !
दो प्रेमियों के कुछ मुस्कुराते,लजाते और शर्माते पलों के शोख रंगों से रंगी एक खूबसूरत पेंटिंग है यह गीत ‘पल-पल दिल के पास!’
और इस गीत को एक नए मुकाम तक ले जाने की तैयारी की भी खबरें हैं |
खबर कुछ यूं भी है कि यह गीत अब बिल्कुल नए अंदाज़ में रिक्रिएट होगा !
जी हां !
सनी देओल अपने बेटे करण देओल को फिल्म ‘पल-पल दिल के पास’ के लॉन्च करने की पूरी तैयार कर चुके हैं, फिल्म में ‘पल-पल दिल के पास’ गाने को भी नए रंग-ढंग के साथ फिर से क्रिएट किया जाएगा।
दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का यह गीत देओल परिवार का सबसे पसंदीदा गाना है। यह गाना जितना धरमजी को पसंद है, उतना ही सनी देओल और बॉबी देओल को भी। तभी तो जब सनी ने अपने बेटे को लॉन्च करने के लिए फिल्म की कहानी और नाम को फाइनल किया तो उन्हें इस गाने के मुखड़े ‘पल-पल दिल के पास’ से खूबसूरत और बेहतर कुछ नहीं सूझा।
वैसे इस गीत से बेहतर कुछ और हो भी क्या सकता है ?
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