“अजी !सुनते हो ,निमि के पापा,पंडित जी का फ़ोन आया था ।निमि के लिए रिश्ता भिजवाया है ।तीन बहनें है लड़के की और माता पिता । तीनों लड़कियों का घर बस गया है ,लड़का इंजीनियर है उसकी भी एक शादी हुई थी पर टिकी नहीं”। स्मृति जी बड़ी खुशी से बोली ।
“ठीक है ,ठीक है ।नाम क्या है लड़के का ?लड़के के पिता का ?फोटो भी तो चाहिये लड़के की ,लड़के की शादी क्यों नहीं चली वो भी जाँच पड़ताल करनी पड़ेगी ।मैं अपनी बच्ची को दुबारा नर्क में नही जाने दूँगा वो भी सगे हाथों “।निमि के पिता बद्रीनाथ जी और कुछ सोचते हुए बोले ।
“हाँ ,हाँ ।मैंने कहा है उनसे ।कह रहे थे शाम तक लड़के का बायोडाटा आपको व्हाट्सएप करवा देंगे “। निमि की माँ बस शाम होने की बाट देख रही थी ।
शाम के करीब आठ बजे पंडितजी ने फोटोऔर कुछ जानकारी भेजी ।
“लड़का तो अच्छा है देखने में पर बहुत बड़ा दिखता है निमि से ।प्रशांत नाम है ,पर शादी क्यों टूटी वो पता करना है उन्हें घर बुलाने से पहले “।बद्रीनाथ जी फ़ोटो दिखाते हुए बोले ।
बद्रीनाथ जी की जाँच पड़ताल शुरु हुई लड़के को लेकर।
कुछ दिन बाद स्मृति जी की एक चचेरी बहन शांति घर आई । चाय नाश्ता करने के बाद अचानक से निमि के बारे मे खोजबीन करने लगी ।
“निमि के लिए कोई लड़का देखा या नहीं स्मृति “।
“आया है थोड़े दिन पहले ही रिश्ता ,निमि के पापा ने पता किया तो पता चला कि लड़के की दो शादियाँ टूट गयी है , बारह साल बड़ा है निमि से ,जबकि पंडित जी ने तो एक शादी टूटने का ही बोला था “। स्मृति जी बोली ।
“तो क्या हुआ ,अपनी निमि की भी तो एक शादी टूटी है ,कोई कुँवारा थोड़ी मिलेगा अब और दाग़ भी लग गया शादीशुदा का “जले पर नमक छिड़क रही थी शांति जी ।
तभी बद्रीनाथ जी आये “क्या कहा आपने जीजी दाग़ ।जीजी मुझे आज भी याद है मेरी खुद की बहन ऐसे ही एक दाग की आग में जली थी ।मेरे बाबा दहेज नहीं दे पाए जबकि मेरी बहन चिल्लाती रही मुझे ले जाओ ,मुझे ले जाओ ,मुझे मार डालेंगे ससुराल वाले पर बाबा बस लोग क्या कहेंगे ?खानदान के नाम पर दाग लगेगा। इस दकियानूसी सोच मे अपनी बेटी को ससुराल की आग में जलने दिया ।
आज भी मेरी बड़ी बहन की चीखें गूँजती है मेरे कानों में ,तब छोटा था तो कुछ कर नहीं पाया मैं “।गला रूँध सा गया कहते कहते बद्रीनाथ जी का ।
अपने पत्थर दिल होने का एहसास कराते हुए शांति जी बोली “तो क्या हुआ ,कितनों के साथ हुआ है ये तो ,कम से कम दाग तो नहीं लगा ख़ानदान को ,दाग तो हमेशा औरत के दामन पर ही लगता है “।
“जीजी,हमारा जमाना अलग था ।जब तक हम अपनी सोच नहीं बदलेंगे दाग हमेशा लड़कियों के दामन पर ही लगेंगे ।
कितनों के ही साथ हुआ क्योंकि सहकर चूप हो गई कितनी ही ।जो रिश्ता आया है निमि के लिए मैंने पता किया कि पहली बीवी थी उसे घर से निकलने नही देते थे ।शारिरिक यातना देते थे ।माता पिता से भी मिलने नहीं देते थे ,यहाँ तक कि खुद को सही सबित करने के लिये उस लड़के ने अपनी बीवी पर चरित्रहीन होने का इल्जाम लगा दिया और ऐसे ही दूसरी बीवी के साथ भी किया अब तीसरी शादी करने चला है ,ऐसे बेशर्म लड़के से कैसे शादी करवाऊ ? आधा अधूरा बायोडाटा भेजा तभी शक हुआ था मुझे और हमसे झूठ बोला वो अलग” ।
“अब कोई कुँवारा नहीं मिलेगा निमि को ,थोड़ा उन्नीस बीस तो चलता है “शांति जी बात बदलते हुए बोली ।
“कुँवारा मिले या न मिले बात ये नहीं ,जिन लोगों की असलियत पहले ही पता चल गई ऐसे हैवानों को अपनी बेटी नहीं दूँगा ,भले आजीवन अकेली रह जाये ।रही बात दाग की तो जीजी जब तक इस प्रशांत जैसे लड़के और आपके जैसी सोच रहेंगी लोग लड़कियों पर ही दाग़रोपण करेंगें।कभी सोचा है पुरुष पर दाग क्यों नही लगता किसी की जिंदगी से खेलने के बाद भी ?क्योंकि आप जैसी ही औरतें पुरुषों के बाजू मजबूत करती हैं अपनी छोटी सोच से “।
दोस्तों ,कई जगह लड़कियों पर एसिड फेक दिया जाता है ,उनके साथ दुष्कर्म होते हैं ,उन्हें कोड़ियों के मोल जिंदा जला दिया जाता है ,कभी दहेज की आग में तो कभी तलाक की आग में ।कितने ही ऐसे दाग है जो लड़कियों के दामन पर आये दिन लगते हैं ,पर क्या ये दाग़ जिसके साथ अन्याय हुआ उस पर लगना चाहिए या जिसने किया उस पर ???
एक रिश्ता अगर यातनाएँ बन जाये तो क्या उस यातना से मुक्ति ,अपने साथ हुए अन्याय का कोई विरोध करे ,इंसाफ माँगे तो क्या वो दाग है,और है भी तो क्यों ??
तमाशबीन बनकर देखते रहने वालों को ये हक किसने दिया कि वे ये तय करे कि कौन दागदार है और कौन नहीं ?
आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी मुझे । ब्लॉग अच्छा लगे तो मुझे फॉलो जरूर करे ।
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अंजली व्यास