“भैया! भैया ,सुनो तो पीछे तो देखो , मैं आपकी बहिन अरे !आप तो देख ही नहीं रहे चले जा रहे हो” । अपनी ही धुन में शिखा मन ही मन बुदबुदायी और तेज रफ़्तार से आगे बढ़ गयी अपने भैया को बुलाने के इरादे से ।
“अरे , ये क्या ! यह तो भैया नहीं कोई और है, वही कद काठी, घुंघराले बाल , वैसे ही लम्बे चौड़े ,पीछे से बिल्कुल सुजीत भैया जैसे, अच्छा हुआ आवाज नहीं लगाई बाल बाल बच गयी “। शिखा खुद से ही बात करते हुए तसल्ली कर रही थी ।
दरअसल उस अनजान शख़्स को न बुलाने के पीछे एक रोचक घटना थी ।
“शिखा ,शिखा ! आज नानी आ रही है उन्हें स्टेशन से ले आना तेरी स्कूल छूटने के वक्त तक आ जाएगी नानी ” किचन से शिखा की माँ बोली ।
“ठीक है ,माँ ” कहकर शिखा बड़ी जल्दी में स्कूल के लिए चली गयी ।
स्कूल की छुट्टी जैसे ही हुई शिखा नानी के आने की ख़ुशी में बिलकुल बच्ची बनकर दौड़ पड़ी ।
बस से नानी उतरकर उसी के घर के रास्ते की तरफ चल दी ।
“नानी, नानी !रुको ! मैं आ रही हूँ,सुनो ” शिखा भागती हुई नानी से लिपट गई ।
“क्या नानी कबसे आवाज़ दे रही हूँ पर आप चली ही जा रही है ” ।
नानी को देखा तो वो नानी नहीं कोई और निकली ।
“मैं तेरी नानी नहीं हूँ लड़की “एक बुजुर्ग महिला गुस्से में बोली ।
“माफ़ करना आंटी ! मेरी नानी भी इसी बस से आने वाली थी। नानी जैसा ही कद ,साड़ी पहनने का सलीका , अधपके सफेद बाल ,हाथो में नानी जैसा ही छोटा सा बैग और नानी जैसा ही चलने का ढंग सब वही इसलिए गलत समझ लिया “झेंपते हुए लगभग हांँफती हुई बोली ।
“अच्छा कोई बात नहीं आगे से ध्यान रखना “कहते हुए बुजुर्ग महिला अपने रास्ते जा रही थी ।
और शिखा मन ही मन कह रही “हाशशशश !!! बाल बाल बची आज तो ” ।
घर गई तो माँ से पता चला नानी का आना कैंसल हो गया ।
माँ को बताया सारा किस्सा तो माँ बेटी खूब हँस रहे थे और माँ कह रही थी “बाल बाल बची बेटा आज तो तू” ।
क्या आपके साथ भी ऐसा कोई वाकया कभी हुआ है ? नहीं ….. अरे करिए ….करिए… याद करिए और मुझे बताइयेगा और हां आपको मेरी कहानी कैसी लगी ये भी जरूर बताइयेगा।
आपकी सहेली
©️®️अंजलि व्यास