बैक-बैंचर्स
लड़कियां भी बैठती हैं,
क्लास की सबसे पिछली वाली
बैंचों पर !
वे भी करती हैं मनमर्ज़ियां,
कमाती हैं तमगे,
शैतान, नटखट, शरारती और
पढ़ाई में कमज़ोर होने के !
बीच लैक्चर के, छुपकर
खाती है वे भी चुराए हुए
टिफिन से खाना,
और खेलती हैं
राजा-वजीर वाली पर्चियां !
वे भी लिखती हैं कापियों के पीछे,
पहला अक्षर उसके नाम का,
जो प्यार करता है उसकी
सबसे पक्की सहेली से!
वे भी पल्ले नहीं डालती ,
एक भी सूत्र गणित का,
कि कहीं किसी
फिल्मी गीत का सुर,
गड़बड़ा न जाए !
वे भी लेती हैं फिरकी
आँखों ही आँखों में,
क्लास के उन शर्मीले लड़कों की,
जो टीचर के किसी सवाल
के जवाब में
हाथ उठाने से भी डरते हैं!
‘मे आई कमिन’ में ई की मात्रा
को लंबा खींचकर कनखियों से
क्लास को देखकर मुस्कुराती हैं वे भी!
लड़कियाँ भी बनाती हैं
पेज फाड़कर हवाई जहाज,
और उड़ा देती हैं सबसे ज्यादा
उबाऊ और पकाऊ टीचरों पर !
वे भी फेयरवेल वाले दिन पाती हैं,
हिदायतें टीचरों की,
“भगवान ही जाने, तुम्हारा क्या होगा ?”
यकीन मानो, वही लड़कियां,
एक दिन नाम कमाकर,
दुरुस्त करती हैं समाज की
वे सारी अव्यवस्थाएं,
जो झेली थी उन्होंने कभी,
चुपचाप रहकर!
©®#Sugyata
चित्र साभार #न्यूज़18