जब-जब कोई तुम्हारे कांधे पर सिर रखे
तो महसूस करना उसका वज़न
तुम पाओगे एक ही वजन के व्यक्ति के
हर बार काँधे पर सिर रखने पर
अलग-अलग वज़न !
तुम्हारे काँधे पर उस आदमी के वज़न को
कम ज्यादा करता
ये उसके दुख का ही अतिरिक्त वज़न होता है ,
कभी कम कभी ज्यादा!
तुम्हारा काँधा हरबार
उस वजन को संभाल पाए
उसे इतना मजबूत ज़रूर रखना !
कौन कहता है कि दुख का वज़न नहीं होता?
पूछो उस काँधे से
जो हर बार है सहता !